याद है कैसे विजय माल्या जैसा ठग बैंकों को लूट बिना कर्ज चुकाये देश से बाहर उड़ गया? भारत के धन कुबेरों ने बैंकों का 11 लाख करोड़ रुपया दबा रखा है. यह जनता का पैसा है जिसे वे चुका नहीं रहे और सरकार वसूली नहीं कर रही.
अगर कोई गरीब किसान बैंक से कर्ज ले तो कितना भी बुरा हाल हो सरकार वसूली करके मानती है, चाहे खेत-जमीन बेचना पड़े. इसी वजह से लाखों किसान इस देश में आत्महत्यायें कर चुके हैं. किसानों का कर्जा सरकार माफ नहीं करती, लेकिन अति धनाड्य कुबेरों के अरबों रुपयों के बैंक कर्ज खुशी-खुशी छोड़ देती है!
कर्ज न चुकाने पर अति सम्पन्न बकायेदारों की न तो जब्ती होती है, न जेल भेजा जाता है, और न ही उन्हें ब्लैकलिस्ट कर आगे से नये कर्ज देने पर पाबंदी लगाई जाती है. कितने शर्म की बात है कि इसी नोटबंदी के दौरान नवम्बर में सरकार ने विजय माल्या समेत 63 पूंजीपतियों पर 7000 करोड़ रुपये के बकाये को चुपचाप बट्टेखाते में डाल दिया. विजय माल्या आज भी इंग्लैण्ड में ऐश कर रहा है. इसी तरह 2015 में सरकार ने 2019 तक चुकाये जाने वाले अम्बानी के अरबों रुपये के कर्ज को नया रूप देकर उसे 2031 में चुकाने के लिए मान लिया! सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का !
इन कुबेर कर्जदारों के कारण देश के बैंकों में पैसों की भारी कमी हो चुकी है. इन पर दबाव डाल कर कर्ज वसूली की जा सकती थी ताकि बैंकों को दिवालिया बनाने से बचा जाय. लेकिन सरकार ने इसकी जगह आम जनता की गाढ़ी कमाई को नोटबंदी करवा कर बैंकों में पहुंचा दिया और जनता पर अपना ही पैसा बाहर निकालने की सीमा तय कर दी (कभी 2000, कभी 4500 आदि) ताकि ज्यादा नकदी बैंकों में ही रहे. हो गया बैंकों के नकदी संकट का समाधान! गरीब आदमी अपना ही पैसा निकालने के लिए लाइनों में भूखा-प्यासा खड़ा रहा, और उसी के पैसे से बैंकों का नकदी संकट हल हो गया. बैंकों के पास इतनी अतिरिक्त मुद्रा आ चुकी है कि वे अमीरों और भ्रष्टाचारियों को नये व सस्ते कर्ज और दे सकती हैं.
भारत सरकार के आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी के कारण “घरों में निष्क्रिय पड़े रहने वाले घरेलू बचत के पैसे बैंकिंग व्यवस्था में आ गये हैं, इससे बैंकें अब कम ब्याज दरों पर कर्ज दे सकेंगी.” क्या वे नहीं जानते कि घरों में जनता के पैसे ‘निष्क्रिय नहीं पड़े’ थे, बल्कि परिवार का रोजमर्रा का खर्च चलाने और मुश्किल वक्त में काम आने के लिए थे? यही पैसे अब अमीरों को सस्ती ब्याज पर कर्ज देने (और बकाया माफ करने) के काम आयेंगे. जनता की गाढ़ी कमाई सरकार की मदद से बैंकों से लुट कर भ्रष्ट धन्नासेठों का मुनाफा बन जायेगी!