मोदी बोले कि नोटबंदी ‘कड़क चाय’ की तरह है जो गरीबों को पसंद आती है और अमीरों को कड़वी लगती है. वे कहते रहे कि सारी परेशानियां गरीब चुपचाप सह लें क्योंकि अमीरों और भ्रष्ट लोगों को कहीं ज्यादा परेशानी हो रही है. काला धन्ध करने वाले अमीरों को सजा मिलेगी और 30 दिसम्बर के बाद गैरकानूनी नकदी रद्दी कागज बन जायेगी.
उमा भारती तो यहां तक बोल गयीं कि मोदी की नोटबंदी इस कदर गरीब परस्त है कि इसे एक मार्क्सवादी कदम कहा जा सकता है. कम से कम उमा भारती ने यह तो मान लिया कि मार्क्सवाद ही गरीबों का सच्चा हितैषी है. भले ही उनकी पार्टी भाजपा उसके विरोध में झूठा प्रचार करती है.