क्या यह सही है कि नकदी के रूप में काले धन का मात्र 4% ही है? विदेशों से काला धन वापस लाने का वायदा आपने क्यों तोड़ा?
क्या यह सही नहीं है कि जाली मुद्रा की बहुत बड़ी मात्रा 100 रुपये के नोटों में है, इसलिए जाली नोट नोटबंदी के बाद भी रहेंगे? जाली नोटों के नाम पर नोटबंदी चावलों में से कंकड़ बीन कर पफेंकने की जगह पूरे चावल फेंकने के बराबर नहीं है?
नोटबंदी ने चारों ओर अफरा-तफरी मचा कर साधारण जनता का जीवन तहस-नहस कर दिया है और 100 से ज्यादा लोगों की इसने जान ले ली है. जबकि कर्नाटक का खदान माफिया महाभ्रष्ट जनार्दन रेड्डी को अपनी बेटी के विवाह में 550 करोड़ रुपये खर्च करने में, और मुकेश अम्बानी को अपनी भतीजी की शादी तय होने के मौके पर भव्य समारोह आयोजित करने में कोई दिक्कत नहीं हुई. क्या आप नहीं मानते कि नोटबंदी ने गरीबों को तबाह किया है और अमीरों व भ्रष्टाचारियों पर आंच भी नहीं आयी?
जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब क्या आपने सहारा और बिरला समूहों से 25-25 करोड़ रुपये गैरकानूनी रूप से लिए थे? क्या इस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच नहीं करानी चाहिए?
आपने 2002 में अम्बानी के बहनोई सौरभ पटेल को गुजरात में ऊर्जा और पेट्रोलियम मंत्राी बनाया था. उस दौरान उसकी पारिवारिक कम्पनी ने तेल और गैस क्षेत्र में निवेश किया था. क्या यह सरकारी पद का दुरुपयोग और राजनीति-व्यापार के भ्रष्ट गठजोड़ का मामला नहीं है?
आप कैशलेस अर्थव्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त अर्थव्यवस्था क्यों बता रहे हैं. जब कि यह बात सच नहीं है और नाइजीरिया का अनुभव हमें यही बतात है.
जम्मू और कश्मीर की पुलिस ने बताया है वहां मुठभेड़ में मारे गये दो आतंकवादियों के पास 2000 के नये नोट मिले हैं. क्या आप स्वीकार करेंगे कि नोटबंदी से आतंकवादियों पर कोई असर नहीं हुआ है, या जो मारे गये वे आतंकवादी थे ही नहीं?
आपने नोटबंदी की तैयारियां 6 महीने पहले से शुरू कर दी थीं, तब क्यों पर्याप्त मात्रा में नयी मुद्रा नहीं छपाई जा सकी, और एटीएम को नये नोटों के हिसाब से कैलीब्रेट नहीं किया गया?
क्यों कोआॅपरेटिव बैंकों के जरिए नोट नहीं बदले गये जबकि अधिकांश ग्रामीण जनता उन्ही पर निर्भर है और किसानों को बीज व खेती का अन्य सामान खरीदने के लिए उस समय कैश की भारी जरूरत थी? शादी-विवाह जैसे कामों के लिए कैश की व्यवस्था शुरू में क्यों नहीं की गई, और बाद में भी जब इसे माना गया तो इसके लिए इतनी शर्तें पूरी करनी थीं कि ज्यादातर लोग वंचित रह गये.
आपकी सरकार ने नोटबंदी से राहत के लिए मुफ्त राशन, इलाज, ट्रांसपोर्ट आदि की व्यवस्था क्यों नहीं की, और लाइनों में खड़े लोगों की दिहाड़ी के नुकसान का मुआवजा क्यों नहीं दिया? नोटबंदी से 103 से ज्यादा लोगों की मौत हुई – सरकार की नीतियों के कारण किसी नागरिक की मौत होना क्या आपके हिसाब से केवल एक “असुविधा” भर है?