महान क्रांतिकारी दार्शनिक कार्ल मार्क्स की 200वीं जन्मशती के वर्ष में मार्क्स की परम्परा पर प्रकाश डालने वाले कुछ लेखों का संकलन हम इस पुस्तिका में प्रस्तुत कर रहे हैं.
इसकी शुरूआत हमने कार्ल मार्क्स को दफनाने के समय उनकी कब्र पर उनके अभिन्न मित्र और साथी फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा दिये गये वक्तव्य से की है जिसमें उन्होंने अपने कामरेड की विरासत का बेहद भावुक लेकिन बिल्कुल सटीक चित्रण किया है.
भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य के लेख मार्क्स द्विशताब्दी के अवसर पर देश के विभिन्न भागों दिये गये उनके वक्तव्यों पर आधारित है जिनमें समकालीन भारत में मार्क्स की प्रासंगिकता और फासीवादी राजनीति को शिकस्त देने की चुनौती पर चर्चा की गई है.
भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य अरिन्दम सेन द्वारा 1983 में लिखी गई मार्क्स की जीवनी को भी हमने इस संग्रह में शामिल किया है.
अंत में कामरेड विनोद मिश्र का लेख है जो उन्होंने नवम्बर 1998 में समकालीन प्रकाशन, पटना द्वारा प्रकाशित कम्युनिस्ट घोषणापत्र के हिन्दी संस्करण की भूमिका के लिए लिखा था.
हमें उम्मीद है कि यह पुस्तिका मार्क्स को प्रथम बार पढ़ने व उनके बारे में ज्यादा जानने की उत्कंठा रखने वालों और साथ ही मार्क्सवादी सिद्धांत व राजनीतिक व्यवहार में लम्बे समय से सक्रिय, दोनों के लिए ही उपयोगी होगी और भारत में मार्क्स की जीवंत विरासत को उसकी लय एवं गति के साथ पाठकों से परिचित करायेगी.
– प्रकाशक