“सत्तारूढ़ वर्गों के विचार ही हर युग के
सत्तारूढ़ विचार होते हैं, यानी जो वर्ग समाज
की सत्तारूढ़ भौतिक शक्ति है, वही उस काल
की शासक बौद्धिक शक्ति भी है. जिस वर्ग का
भौतिक उत्पादन के साधनों पर कब्जा है, उसका
ही मानसिक उत्पादन के साधनों पर भी एक ही
समय में नियंत्रण होता है, जिससे आम तौर पर उन
लोगों के विचार, जिनके पास मानसिक उत्पादन
के साधन नहीं होते, उनके अधीन हो जाते है.
दरअसल सत्तारूढ़ विचार प्रभुत्वशाली भौतिक संबंध
की अभिव्यक्ति से अधिक कुछ नहीं हैं, और इन
प्रभुत्वशाली भौतिक संबंधों की अभिव्यक्ति को ही
आम विचार मान लिया जाता है .”
- कार्ल मार्क्स; जर्मन विचारधारा, 1845
लिबरेशन प्रकाशन
सितम्बर 2018
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