वी एम की चयनित रचनाएं बीसवीं शताब्दी के अंतिम चतुर्थांश में भारतीय कम्युनिस्ट आन्दोलन की सहज सरल, सीधी-सादी आत्मआलोचनात्मक और आत्मकथात्मक गाथा है. नकसालबाड़ी में बसंत के वज्रनाद में और बिहार के धधकते खेत-खलिहानों में उसकी अनुगूंज में आपने मार्क्स, लेनिन और माओ को पढ़ने वाले स्वातंत्रयोतर मार्क्सवादी वीएम के सर पर न तो लंदनपंथी सामाजिक जनवाद का बोझ था और न कांग्रेस-समाजवाद तथा भारतीय राष्ट्रवाद के गांधी-नेहरू विमर्श का भार ही लदा था. बुर्जुआ लोकतंत्र के भारतीय संस्करण के साथ उनका संघर्ष एक व्यावहारिक क्रांतिकारी का संघर्ष था, जो इस प्रणाली के अन्दर से संचालित हो रहा था, लेकिन जिसने अपने विश्लेषण और दृष्टिकोण को बुर्जुआ उदारवाद और संवैधानिकता की लगातार सिकुड़ती परिधि तक सीमित नहीं होने दिया. इसीलिए उनका सम्पूर्ण लेखन उनके क्रांतिकारी उद्देश्य की स्पष्टता और सच्चाई से देदीप्यमान है.
दीपंकर भच्टाचार्य
महासचिव
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)
समकालीन प्रकाशन
द्वितीय संस्करण : 2013
समकालीन प्रकाशन :
शहीद चन्द्रशेखर स्मृति भवन,
जगतनारायण रोड, कदमकुआं,
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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)
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