कामरेड विनोद मिश्र की चुनी रचनाओं को केन्द्रीय स्तर पर हिन्दी और अंग्रेजी में यथाशीघ्र प्रकाशित करने के सम्बंध में केन्द्रीय कमेटी द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार 1999 में अंग्रेजी एवं हिंदी में संकलित रचनाओं का प्रकाशन हुआ था. जहां अंग्रेजी संस्करण एक ही खंड में समाहित था वहीं हिंदी संस्करण दो खंडों में प्रकाशित किया गया. इसके बाद बांगला में भी कामरेड वी एम की संकलित रचनाओं का प्रकाशन हुआ.
दो खंडों में प्रकाशित हिंदी में संकलित रचनाओं में केवल अंग्रेजी संस्करण से अनूदित लेख ही शामिल नहीं हैं. बल्कि, जैसा कि 1999 के संस्करण के प्रकाशकीय में लिखा गया था : “पार्टी के नेतृत्व में चल रहा गांव के गरीबों, खेतिहर मजदूरों का आंदोलन बिहार में नवजागरण का बायस बनने लगा है. हमने पाया कि हाल के दिनों में बिहार को लेकर लिखे या विभिन्न सभाओं, सम्मेलनों, सेमिनारों में दिए गए भाषण-वक्तव्यों में, गरीब किसानों-खेतिहर मजदूरों के आंदोलनों को केन्द्र कर बिहार में एक नवजागरण सृजित करने की चिंता केन्द्रीय चिंता है. जिसे वे खुद 1974 आंदोलन की आत्मा को पुनर्सृजित करना कहते हैं. बाद की रचनाओं में यह अनुगूंज लगातार सुनाई पड़ती है. ... चुनी हुई रचनाओं के संकलन को जब हिन्दी में प्रकाशित करने की बारी आई तो यह जरूरी लगा कि उस काम को भी इसमें समाहित कर लिया जाए. सो हमें ऐसे कई लेखों, खासकर भाषणों को इसमें शामिल करना पड़ा जो अंग्रेजी संस्करण में नहीं हैं.”
कामरेड विनोद मिश्र की संकलित रचनाओं के हिंदी में छपे दोनों खंड अब दुष्प्राप्य हैं. जबकि पार्टी कतारों के लिये, खासकर पार्टी में लगातार आने वाली नई पीढ़ी के लिये ये रचनाएं अत्यंत आवश्यक हैं. इसी उद्देश्य से कामरेड विनोद मिश्र के निधन की पन्द्रहवीं बरसी पर केन्द्रीय कमेटी ने हिंदी में द्वितीय संस्करण प्रकाशित करने का निर्णय लिया. इस बार हमने दोनों खंडों को एकसाथ मिलाकर छापा है और साथ ही अंग्रेजी से कुछ बची रचनाओं तथा बंगला संस्करण में छपे कुछेक लेखों को भी इसमें शामिल कर लिया है. साथ ही पिछले संस्करण में अनुवाद सम्बंधी कुछेक त्रुटियों के संशोधन का प्रयास किया गया है. संकलन के प्राक्कथन में कोई परिवर्तन इस संस्करण में नहीं किया गया है.