‘फासीवाद हराओ, लोकतंत्र बचाओ’ और ‘शहीदों के सपनों का भारत बनाओ!’ नारे के साथ भाकपा माले के 11वें पार्टी महाधिवेशन का आयोजन विनोद मिश्र नगर (पटना, बिहार) में 15 से 20 फरवरी के बीच किया गया. पार्टी महाधिवेशन के लिए, अपने दो महान नेताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए पटना का नाम बदलकर विनोद मिश्र नगर और सभागार का नाम रामनरेश राम हॉल किया गया था. मंच कामरेड डीपी बख्शी, बीबी पांडे और एनके नटराजन की स्मृति को समर्पित था. ये तीनों पार्टी की केन्द्रीय कमेटी के सदस्य थे जिन्हें हमने मार्च 2018 में मानसा, पंजाब में आयोजित 10वें पार्टी महाधिवेशन के बाद खो दिया.
पार्टी महाधिवेशन की शुरुआत ‘लोकतंत्र बचाओ, भारत बचाओ’ रैली के साथ हुई. 15 फरवरी को गांधी मैदान में हुई इस विशाल रैली में ग्रामीण गरीबों और किसानों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं और पार्टी कार्यकर्ताओं सहित हजारों लोग शामिल हुए. रैली में मजदूर वर्ग की भी बड़ी भागीदारी थी. रैली की शुरुआत गांधी मैदान में शहीद स्तंभ पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई. रैली को भाकपा(माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि देश में फासीवाद को हराने के लिए विपक्षी एकता का निर्माण जरूरी है. “सबसे ज्यादा गरीब लोगों को लोकतंत्र की सबसे ज्यादा जरूरत है. लोग संघर्षों और जन आंदोलनों के माध्यम से सभी मोर्चों पर लोकतंत्र का निर्माण करते हैं. हम तभी लड़ पाएंगे जब लोकतंत्र होगा और सबके लिए होगा.’
कॉमरेड मंजू प्रकाश द्वारा पेश किये गये राजनीतिक प्रस्तावों को रैली में गृहीत किया गया. इसमें सभी प्रकार की घृणा और उत्पीड़न के साथ ही संघ परिवार के चौतरफा हमले के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया गया.
बिहार के राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल ने रैली में भाग लेने आये लोगों का स्वागत किया और कॉमरेड धीरेंद्र झा ने कार्यवाही का संचालन किया. पोलित ब्यूरो सदस्य और बगोदर, झारखंड से विधायक कॉमरेड विनोद सिंह, बिहार विधानसभा में पार्टी विधायक दल के नेता और बलरामपुर के विधायक महबूब आलम, बिहार विधानसभा में भाकपा(माले) विधायक दल के उपनेता सत्यदेव राम, अगिआंव के विधायक मनोज मंजिल, पालीगंज के विधायक संदीप सौरव, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव सहित कई नेताओं ने रैली को संबोधित किया. रैली में नेपाल, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम के बिरादराना संगठनों के कॉमरेड मौजूद थे.
भाकपा माले के 11वें पार्टी महाधिवेशन का उद्घाटन सत्र 16 फरवरी को रामनरेशराम हॉल (एसके मेमोरियल हॉल, पटना) में शहीद वेदी पर कम्युनिस्ट झंडा फहराने और हमारे दिवंगत नेताओं और शहीद साथियों को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुआ. शहीद साथियों के बलिदान और क्रांतिकारी विरासत की याद में शहीद वेदी पर एक अमर ज्योति प्रज्वलित की गई.
खुले उद्घाटन सत्र की शुरुआत पार्टी के सांस्कृतिक मोर्चों के कामरेडों द्वारा गाये क्रांतिकारी गीतों से हुई. राजाराम सिंह ने उद्घाटन सत्र में आए प्रतिनिधियों और अतिथियों का स्वागत किया. कॉमरेड स्वदेश भट्टाचार्य ने सत्र की अध्यक्षता की और संचालन मीना तिवारी और वी शंकर ने किया.
11वें पार्टी महाधिवेशन की स्वागत समिति में प्रो. भारती एस कुमार, डॉ. ओपी जायसवाल और ग़ालिब खान जैसे कई जाने-माने बुद्धिजीवी शामिल थे. स्वागत समिति की ओर से डॉ. ओपी जायसवाल ने पार्टी महाधिवेशन के प्रतिनिधियों और अतिथियों का स्वागत किया.
अभिजीत मजूमदार ने 2018 में मानसा, पंजाब में आयोजित पार्टी के दसवें महाधिवेशन के बाद दिवंगत हुए देश-विदेश के सभी कामरेडों और प्रगतिशील हस्तियों को पार्टी की ओर से सम्मान और श्रद्धांजलि देते हुए शोक प्रस्ताव पढ़ा. उन्होंने कॉमरेड डी पी बख्शी, कॉमरेड बी बी पांडे, कॉमरेड एन के नटराजन, कॉमरेड क्षितिश बिस्वाल, कॉमरेड रामजतन शर्मा, कॉमरेड पवन शर्मा समेत सभी दिवंगत साथियों को श्रद्धांजलि दी.
शोक प्रस्ताव के बाद बिहार राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल ने प्रतिनिधियों और अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने भारतीय वाम के विभिन्न बिरादराना वामपंथी पार्टियों के साथियों, अंतरराष्ट्रीय वामपंथी और प्रगतिशील आंदोलनों के मेहमानों, और देश भर से आये प्रतिनिधियों, मेहमानों, पर्यवेक्षकों, कार्यकर्ताओं, नागरिकों और प्रेस के प्रतिनिधियों का स्वागत किया. रूढ़िवादी दार्शनिक प्रवृत्तियों और धार्मिक प्राधिकारियों के खिलाफ विद्रोह की उर्वर जमीन और विभिन्न नास्तिक संप्रदायों के जन्मस्थान रहे बिहार के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए उन्होंने कहा कि “बिहार प्राचीन लोकतंत्र - लिच्छवि गणराज्य की जन्मस्थली भी है. समानता, भाईचारा और सामाजिक न्याय जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को हासिल करने का संघर्ष और हर तरह के शोषण, लूट, दमन का घोर विरोध बिहार की पुरानी पहचान है.”
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बिहार के योगदान को याद करते हुए कहा, ‘भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में वीर कुंवर सिंह के साथ पीर अली और जवाहिर रजवार का नाम भी प्रमुख नायकों में दर्ज है. यह बिहार के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है.” उन्होंने कहा कि यह समृद्ध ऐतिहासिक विरासत पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘लोकतंत्र बचाओ-भारत बचाओ’ रैली में फिर से देखने को मिली, जहां फासीवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए एक मजबूत आवाज उठाई गई. उन्होंने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि “बिहार ने अतीत में भी पूरे देश को एक नया रास्ता दिखाया था”. बिहार में महागठबंधन ने बीजेपी को राज्य की सत्ता से दूर रखने का एक नया मॉडल दिया है और हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में पूरा देश इसी रास्ते पर आगे बढ़ेगा.
कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने इस महत्वपूर्ण मोड़ पर हमारे कार्यभारों को रेखांकित किया. उद्घाटन सत्र में आगामी लोकसभा चुनावों और उसके बाद भाजपा-आरएसएस के खिलाफ ठोस राजनीतिक-वैचारिक चुनौती की जरूरत पर बल दिया गया.
सीपीआई(एम) के पोलित ब्यूरो सदस्य कॉमरेड मो. सलीम ने उद्घाटन सत्र में अपनी बात रखते हुए कहा कि हिंदुत्व-कॉरपोरेट शासन से जो चुनौती मिल रही है उसके खिलाफ सभी लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करके इसका मुकाबला करने में वामपंथियों की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि वाम विकल्प ही भाजपा हिंदुत्व शासन का वास्तविक विकल्प है.
सीपीआई के कॉमरेड पल्लब सेनगुप्ता ने कहा कि “आपकी पार्टी कांग्रेस का बहुत महत्व है क्योंकि यह विश्व इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हो रही है. हम ऐसे मुद्दों का सामना कर रहे हैं जो मानवता के मूल सिद्धांतों को चुनौती दे रहे हैं, और हम मानते हैं कि कम्युनिस्ट एकता और कम्युनिस्ट ताकतों का अधिक से अधिक एकीकरण समय की मांग है.
मार्क्सवादी समन्वय समिति (एमसीसी) के कार्यवाहक अध्यक्ष कॉमरेड अरूप चटर्जी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के महासचिव मनोज भट्टाचार्य, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक से जी देवराजन, रिवोल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (आरएमपीआई) के महासचिव मंगत राम पासला और लाल निशान पार्टी के भीमराव बंसोड़ व आमंत्रित किये गये अन्य अतिथियों ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता कॉमरेड ईश्वर पोखरेल भी उद्घाटन सत्र में शामिल थे. स्वागत समिति के सदस्यों ने सभी अतिथियों का अभिनंदन किया.
सत्र के आरम्भ में राजाराम सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और धन्यवाद ज्ञापन के साथ समापन वक्तव्य दिया. 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1700 से अधिक प्रतिनिधियों, पर्यवेक्षकों और अतिथियों के साथ, यह भाकपा(माले) के इतिहास में सबसे बड़ा पार्टी महाधिवेशन था.
17 फरवरी को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता सत्र में, कई देशों के बिरादराना संगठनों ने भारत में चल रहे जनसंघर्षों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की और एक न्यायपूर्ण, लोकतांत्रिक और बहुलतावादी दुनिया के निर्माण के संघर्ष में अपना सहयोग और समर्थन जाहिर किया.
सीपीएन (यूएमएल), नेपाल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ईश्वर पोखरेल ने अपनी पार्टी के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 11वें महाधिवेशन के उद्घाटन सत्र में भाग लिया. उन्होंने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी को नेपाल के लोगों से जबरदस्त समर्थन मिला है. उनकी जीत हर चरण में पार्टी द्वारा लड़े गए लंबे संघर्षों को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि “हमारी जिम्मेदारी उन प्रतिक्रियावादी ताकतों को हराने की है जो मजदूर वर्ग पर हमले जारी रखे हुए हैं. सभी जनविरोधी ढांचों और संस्थाओं को उखाड़ फेंकने की जरूरत है. केवल समाजवाद ही सभी को समानता और अधिकार की गारंटी देता है.”
सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के नेता और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल ने कहा कि नेपाल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. वहां भले ही कम्युनिस्ट पार्टियां एकजुट होकर चुनाव जीतने में सफल रही हैं लेकिन समाज में दक्षिणपंथी तत्व घुस रहे हैं और राजशाही को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने अपनी पार्टी के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता सत्र में भाग लिया.
कामरेड बजलुर रशीद फ़िरोज़, महासचिव, बांग्लादेश समाजवादी दल (बांग्लादेश सोशलिस्ट पार्टी); सैफुल हक, महासचिव, बांग्लादेशी बिप्लबी वर्कर्स पार्टी (बांग्लादेश की रिवोल्यूशनरी वर्कर्स पार्टी); सैम वेनराइट, राष्ट्रीय सह-संयोजक सोशलिस्ट एलायंस ऑस्ट्रेलिया; रेमन ऑगस्टो लोबो, पार्लियामेंट्री फ्रेंडशिप ग्रुप के अध्यक्ष और यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी ऑफ वेनेजुएला (पीएसयूवी) के सदस्य; अपूर्वा गौतम, बीडीएस आंदोलन फिलिस्तीन की एशिया-प्रशांत समन्वयक; सोशलिस्ट रुख, यूक्रेन के प्रतिनिधि; साउथ एशिया सॉलिडैरिटी ग्रुप (एसएएसजी) यूके की अमृत विल्सन, कल्पना विल्सन और सरबजीत जोहल ने अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता सत्र को संबोधित किया.
भारत में क्यूबा के राजदूत अलेजांद्रो सीमांकास मारिन, एमएलपीडी जर्मनी, पार्टिडो कम्युनिस्टा इक्वाटोरियानो (इक्वाडोर), पार्टिडो मंगगागावा (लेबर पार्टी, फिलीपींस), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ स्वाजीलैंड, यूनियन ऑफ साइप्रियट्स (साइप्रस), से एकजुटता और बधाई के संदेश प्राप्त हुए. लेफ्ट रेडिकल ऑफ अफगानिस्तान (एलआरए), लाओ पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी (लाओस), डेनिश कम्युनिस्ट पार्टी (डेनमार्क) और यूके में स्थित एक फिलिस्तीन कार्यकर्ता शाहद अबुसलामा द्वारा प्राप्त एकजुटता संदेशों को 11वें महाधिवेशन में पढ़ा गया.
ईरान की कम्युनिस्ट पार्टी; अर्जेंटीना की कम्युनिस्ट पार्टी (असाधारण कांग्रेस); डाइ लिंके (जर्मनी) और लैंडलेस पीपुल्स मूवमेंट ऑफ नामीबिया ने भी भाकपा(माले) पार्टी महाधिवेशन को बधाई दी.
सोशलिस्ट पार्टी ऑफ मलेशिया के महासचिव शिवराजन अरुमुगम, श्रीलंका में वाणिज्यिक और औद्योगिक श्रमिक संघ की अध्यक्ष स्वास्तिका अरुलिंगम, बीडीएस मूवमेंट फिलिस्तीन के सह-संस्थापक उमर बरगौटी; कैटालोनिया की कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय संबंध सचिव आरनो पिक़े और अवामी वर्कर्स पार्टी, पाकिस्तान के अध्यक्ष अख्तर हुसैन के वीडियो संदेश प्राप्त हुए.
सरबजीत जोहल ने उनके द्वारा चित्रित एक कलाकृति प्रस्तुत की, जो इस विचार का प्रतिनिधित्व करती है कि सामूहिक संघर्ष से हम एकजुट हो जाते हैं और हमारी कमजोरियां ताकत बन जाती हैं.
भाकपा माले के 11वें महाधिवेशन के तीसरे दिन 18 फरवरी को ‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, भारत बचाओ’ कन्वेंशन का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जद( यू) अध्यक्ष ललन सिंह, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री सलमान खुर्शीद व संसद सदस्य और विदुतलाई चिरुतिगल कच्ची (लिबरेशन पैंथर्स पार्टी, तमिलनाडु) के अध्यक्ष तिरुमावलवन ने सम्मेलन में भाग लिया. फासीवाद विरोधी ताकतों के बीच बिहार में बन रही व्यापक एकता को जारी रखने के संदर्भ में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था. बिहार ने पहले भी इस तरह के संघर्षों में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है. यह इस बार भी एक बड़े फासीवाद-विरोधी आंदोलन और एकजुटता को आगे बढ़ाने का रास्ता दिखाएगा. कन्वेंशन का संचालन राजाराम सिंह ने किया.
भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सभी नेताओं का स्वागत करते हुए अपने आधार वक्तव्य में कहा कि “इस कन्वेंशन का मकसद बहुत स्पष्ट है - यदि संविधान और लोकतंत्र खतरे में हैं, तो उन्हें बचाने के लिए फासीवादी ताकतों से एक निर्णायक संघर्ष की आवश्यकता है और इसके लिए हमें एक बड़ी एकता की जरूरत है.” उन्होंने कहा कि बिहार ने बार-बार दिखाया है कि किस तरह सड़कों पर और चुनावी मोर्चे पर विपक्ष का निर्माण किया जाता है. महासचिव ने कहा कि 11वें महाधिवेशन के हिस्से के रूप में बुलाया गया यह कन्वेंशन देश में आपातकाल जैसे हालात के प्रतिरोध का आह्वान है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मौजूदा सरकार अपने हित में काम कर रही है और इसके खिलाफ लड़ने के लिए सात दलों ने देश हित में साथ दिया और हम (भाजपा के साथ) गठबंधन से बाहर हो गए. “हमने महागठबंधन के लिए जो फैसला लिया है, वह बिहार के लोगों के लिए अच्छा रहा है, इसलिए हम एक साथ काम करना जारी रखेंगे. लेकिन हमारी बिहार से बाहर भी एक जिम्मेदारी है और 2024 के चुनावों को देखते हुए, हमें एक साथ लड़ना चाहिए और मौजूदा शासन से छुटकारा पाना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि ‘‘हम संघर्षों और भाकपा(माले) के लोगों के साथ रहे हैं और हम विश्वास दिलाते हैं कि भविष्य में भी साथ रहेंगे. हम साथ काम करना जारी रखेंगे."
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “हमारे पास अंबानी-अडानी जैसे प्रायोजक नहीं हैं. हम विपक्ष पर नकेल कसने के लिए सरकारी संस्थानों का दुरुपयोग भी नहीं करते हैं, फिर भी हम पर हमलों के बावजूद हम बिहार में भाजपा को सबक सिखाने के लिए देशहित में एकजुट हुए हैं. उन्होंने कहा, “हमने बार-बार कहा है कि जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं, वहां उन्हें ड्राइविंग सीट दी जानी चाहिए और जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच दोतरफा लड़ाई है, हम कांग्रेस का समर्थन करेंगे."
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, “आज हम फासीवादी शक्तियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन वे कायर हैं. हमारी एकता से डरकर वे पीछे हटने के लिए मजबूर हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी के नफरत वाले मॉडल के खिलाफ विपक्षी एकता का बिहार मॉडल आगे का रास्ता दिखाएगा. उन्होंने आश्वासन दिया कि वह कांग्रेस पार्टी में एकता के संदेश को आगे बढ़ाएंगे. कांग्रेस भी विपक्षी एकता बनाने के लिए तैयार है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्टी महाधिवेशन को एकजुटता संदेश भेजा और कहा कि आज संविधान पर खतरा मंडरा रहा है, जो बेहद चिंताजनक है. उन्होंने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि संविधान, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र में विश्वास करने वाले सभी एक साथ आएं."
तमिलनाडु के विदुतलाई चिरुतिगाल कच्ची के अध्यक्ष तिरुमावलवन ने कहा, “हमें बिना समझौता किए कट्टरता का विरोध करना चाहिए. फासीवाद भारतीय लोकतंत्र पर सुनामी की तरह प्रहार कर रहा है. फासीवाद यह सुनिश्चित करना चाहता है कि बहुमत वाली सरकार बहुसंख्यावादी सरकार के रूप में कार्य करे.”
लेखिका और कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने फासीवाद-विरोधी संघर्षों और भाकपा(माले) के पार्टी महाधिवेशन के प्रति एकजुटता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि फासीवाद का विरोध करने के लिए जाति-विरोधी और पूंजीवाद-विरोधी संघर्षों को साथ आना होगा. उन्होंने फासीवाद विरोधी विपक्ष बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक समूहों के एक साथ आने का स्वागत किया.
अन्य अतिथियों में, स्वतंत्र पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि “भारत के कम्युनिस्टों के पास अपार बलिदान और संघर्ष की विरासत है, और अगर हमें मौजूदा शासन को हराना है, तो कम्युनिस्टों को उत्पीड़ितों की एक बड़ी एकता के लिए आंदोलन का नेतृत्व करना चाहिए."
प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए आदित्य निगम ने कहा कि फासीवादी हमले के खिलाफ साहसिक विरोध के साथ-साथ हमें सामाजिक समानता और मानवीय गरिमा के लिए जाति-विरोधी पितृसत्ता-विरोधी संघर्षों की समृद्ध विरासत पर एक शक्तिशाली सांस्कृतिक प्रतिरोध बनाने और भारत के सांप्रदायिक सद्भाव, सामाजिक विविधता और सांस्कृतिक बहुलवाद को मजबूत करने पर भी ध्यान देना चाहिए.
दिल्ली में अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कौस्तव बनर्जी ने कहा, “भाकपा(माले) एक ऐसी पार्टी है जिसका कृषि श्रमिकों के बीच जनाधार है. हाल के किसानों के आंदोलन को ध्यान में रखते हुए बदलते समय के साथ हमें कृषि को जलवायु संकट के साथ जोड़ने की जरूरत है. किसानों के आंदोलन ने हमें बुर्जुआ धारणा से परे कृषि कार्यक्रम को देखने का एक तरीका दिखाया है.” उन्होंने कहा कि क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए पितृसत्ता का विनाश जरूरी है और व्यापक स्तर पर जनता तक पहुंचने के लिए भाषाई विविधता को समान रूप से महत्वपूर्ण पहलू के रूप में देखा जाना चाहिए.
पत्रकार और लेखक भाषा सिंह ने कहा कि हम देखते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर - लैटिन अमेरिका और यूरोप में - लोग लाल झंडे के नीचे उत्पीड़न से लड़ रहे हैं. भारत में भी लाल झंडा रास्ता दिखाएगा.
ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रति राव, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट, पटना के प्रो. विद्यार्थी विकास और दिल्ली के पत्रकार अनिल चमडि़या ने भी प्रतिनिधियों के साथ अपने विचार साझा किए और पार्टी महाधिवेशन के साथ एकजुटता व्यक्त की. सत्यशोधक कम्युनिस्ट पार्टी, महाराष्ट्र के नेता किशोर धमाले ने भी 17 फरवरी को महाधिवेशन को संबोधित किया.
दिखी प्रतिरोध की सांस्कृतिक छटा
11वें महाधिवेशन में देश के विभिन्न राज्यों और विभिन्न भाषाओं में सृजित प्रतिरोधी नृत्य-संगीत की झलक देखने को मिली. महाधिवेशन में प. बंगाल, असम व कार्बी, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों से आये प्रतिनिधियों, जनगायकों और कलाकारों ने गायन और नृत्य की एकल व सामूहिक प्रस्तुतियां दीं.
पश्चिम बंग गण शिल्पी परिषद के कलाकारों ने नीतीश व बाबुनि दा की अगुआई में नक्सलबाड़ी विद्रोह के दौरान चर्चित गीत ‘मुक्त होगी प्रिय मातृभूमि’ पर आधारित सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति की. झारखंड की प्रीति भास्कर ने महिला आजादी की आकांक्षा और संघर्ष को अपने नृत्य के जरिए मूर्त किया. झारखंड संस्कृति मंच के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सामूहिक नृत्य में ‘जल, जंगल, जमीन’ के लिए चल रहे संघर्ष को तेज करने का आह्वान था. असम के प्रतिनिधियों ने चाय बगान में उचित मजदूरी के लिए हो रहे संघर्ष से संबंधित गीत सुनाये.
बिहार जसम के गायकों – कृष्ण कुमार निर्मोही, राजन कुमार, अनिल अंशुमन, पुनीत कुमार, निर्मल नयन, राजू रंजन, कामता प्रसाद आदि ने कई गीतों की प्रस्तुति दी. हिरावल, पटना के संतोष झा के नेतृत्व में क्रांतिकारी वामपंथी धारा के प्रमुख कवि गोरख पांडेय को समर्पित कवि दिनेश शुक्ल की रचना ‘जाग मेरे मन मछंदर’, फैज़ अहमद फैज़ की मशहूर नज्म ‘हम देखेंगे’ और क्रांतिकारी कवि-गीतकार महेश्वर के गीत ‘सृष्टि बीज का नाश न हो’ की शानदार प्रस्तुतियां हुईं. कोरस, पटना के कलाकारों ने भी क्रांतिकारी गीत गाये.
आंध्र प्रदेश, असम व कार्बी आंग्लॉंग, पंजाब, तमिलनाडु और केरल के प्रतिनिधियों ने भी कई जोशीले गीत-नृत्यों की प्रस्तुतियां दीं. उत्तराखंड के मदनमोहन चमोली व इंद्रेश मैखुरी ने ‘उत्तराखण्ड आंदोलन’ के दौर का एक गीत ‘लड़ना है भाई, अभी लंबी लड़ाई है’ के समूह गान के जरिए आंदोलन की भावना को जीवंत कर दिया.
एक 15 सदस्यीय अध्यक्षमंडल ने प्रतिनिधि सत्र का संचालन किया. इसमें जनार्दन प्रसाद, विनोद सिंह, सुशीला तिग्गा, मीना तिवारी, राजेश साहनी, त्रिपति गोमांगो, इंद्रेश मैखुरी, प्रतिमा इंघीपी, अभिजित मजूमदार, गुरमीत सिंह बख्तपुरा, मैत्रेयी कृष्णन, कृष्णवेनी, पीएस अजय कुमार, आफताब आलम और फरहत बानो शामिल थे. 11वें पार्टी महाधिवेशन ने कई मसौदा दस्तावेजों पर विचार-विमर्श किया. दीपंकर भट्टाचार्य द्वारा निवर्तमान केंद्रीय समिति की ओर से पेश किए गए फासीवाद-विरोधी प्रतिरोध के परिप्रेक्ष्य, दिशा और कार्यभार; अभिजीत मजूमदार द्वारा प्रस्तुत अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर मसौदा प्रस्ताव; क्लिफ्टन डी’ रोज़ारियो द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय स्थिति पर मसौदा प्रस्ताव; सुचेता डे द्वारा पेश किया गया पर्यावरण और जलवायु संकट पर मसौदा प्रस्ताव; मनोज भक्त द्वारा प्रस्तुत पार्टी संगठन पर मसौदा रिपोर्ट; अरिंदम सेन द्वारा पेश किए गए सामान्य कार्यक्रम में प्रस्तावित संशोधन; और शुभेंदु सेन द्वारा; पार्टी संविधान में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया गया. सभी मसौदा दस्तावेजों को संबंधित सत्रों में प्रतिनिधियों द्वारा विचार-विमर्श के बाद गृहीत किया गया. विभिन्न सत्रों में सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने वक्तव्य रखे, जबकि मसौदों पर बड़ी संख्या में लिखित सुझाव भी प्राप्त हुए. अध्यक्ष मंडल को कुल मिलाकर लगभग दो सौ सुझाव/प्रस्ताव/संशोधन प्राप्त हुए.
लैंगिक न्याय और संवेदीकरण प्रकोष्ठ के गठन के संबंध में पार्टी संविधान में संशोधन का प्रतिनिधियों ने व्यापक रूप से स्वागत किया.
फासीवाद-विरोधी प्रस्ताव ने फासीवाद को भारतीय इतिहास के वर्तमान मोड़ पर जनता और लोकतंत्र के लिए मुख्य खतरे के रूप में पहचाना. कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ के रूप में फासीवाद की अभिव्यक्ति से भारतीय लोकतंत्र को खतरा है. अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति पर भाकपा(माले) ने स्पष्ट रूप से रूस में पुतिन शासन की यूक्रेन के प्रति आक्रामकता की निंदा की और युद्ध को समाप्त करने का आह्वान किया. पार्टी ने नाटो को अमेरिकी साम्राज्यवाद के एक वाहन के रूप में देखते हुए इसके विघटन का आह्वान किया. पार्टी ने यह भी कहा कि चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद के निर्माण का चीनी दावा तेजी से चीनी विशेषताओं वाले पूंजीवाद में तब्दील हो रहा है. इसने समाजवाद को बुनियादी कल्याणवाद तक सीमित कर दिया है जिसमें पूंजीवाद को राज्य के नियंत्रण में तो रखा गया है, लेकिन राजनीतिक स्वतंत्रता का घोर अभाव है. अफ्रीका, पाकिस्तान और अन्य देशों में चीनी पूंजीवाद की भूमिका को एक आलोचनात्मक नजरिये से देखने की जरूरत है.
फासीवाद-विरोधी मसविदा दस्तावेज और राष्ट्रीय स्थिति पर दस्तावेज पर बहस के जवाब में कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि फासीवाद के बारे में उसके राजनीतिक स्वरूप के संदर्भ में ही बात की जाएगी, क्योंकि उत्पादन का कोई फासीवादी तरीका नहीं है. "यह पॉलिटिक्स इन कमांड (राजनीति पर पकड़) है जहां हम ‘ठोस परिस्थितियों का ठोस विश्लेषण’ करते हैं. लोकतंत्र संघर्ष का एक मंच है और फासीवाद को ढीले ढंग से सामान्यीकृत नहीं किया जाना चाहिए”. अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर प्रस्ताव के जवाब में महासचिव ने कहा कि हम सिद्धांत रूप में सर्वहारा वर्ग की तानाशाही के पक्षधर हैं. हमारा मानना है कि लोकतंत्र के बिना समाजवाद नहीं हो सकता है. “भारत में समाजवाद को हमारे बहुदलीय लोकतंत्र के भीतर काम करना चाहिए और हमें एक टिकाऊ राजनीतिक ताने-बाने का निर्माण करना चाहिए जो सरकारों के आने और जाने के बावजूद समाजवादी आधार को बरकरार रखे. हम निश्चित रूप से बुर्जुआ लोकतंत्र का समर्थन नहीं करते हैं बल्कि सर्वहारा लोकतंत्र में विश्वास करते हैं. यह बुर्जुआ लोकतंत्र से बहुत अलग होगा."
11वीं कांग्रेस के अंतिम दिन निवर्तमान केंद्रीय समिति की ओर से प्रभात कुमार ने संगठनात्मक स्थिति की रिपोर्ट के साथ-साथ वित्तीय स्थिति की रिपोर्ट पेश की. वीकेएस गौतम ने पार्टी कांग्रेस प्रतिनिधियों की क्रिडेंशियल्स रिपोर्ट प्रस्तुत की. निवर्तमान केन्द्रीय कन्ट्रोल कमीशन की रिपोर्ट उमा गुप्ता ने पेश की.
सदन ने पांच सदस्यीय चुनाव आयोग का चुनाव किया, जिसकी अध्यक्षता एसके शर्मा ने की. चुनाव आयोग ने केंद्रीय समिति और केंद्रीय कन्ट्रोल कमीशन के चुनाव की प्रक्रिया का संचालन किया. कॉमरेड राजा बहुगुणा, उमा गुप्ता, नक्षत्र सिंह खेवा, धीरज दास और कृष्णवेनी के पांच सदस्यीय केंद्रीय कन्ट्रोल कमीशन को सदन द्वारा सर्वसम्मति से चुना गया. केन्द्रीय कन्ट्रोल कमीशन ने राजा बहुगुणा को अपना चेयर पर्सन चुना.
कुल 1299 प्रतिनिधियों ने 82 उम्मीदवारों में से केंद्रीय समिति के 76 सदस्यों के लिए मतदान में भाग लिया. जिसमें से 76 सदस्यीय पैनल को निवर्तमान केंद्रीय समिति द्वारा प्रस्तावित किया गया था और 6 नामांकन प्रतिनिधियों के बीच से आए थे. प्रतिनिधियों ने छह मतदान केंद्रों पर अपना गुप्त मतदान किया. चुनाव आयोग की सहायता स्वयंसेवकों की एक टीम ने की, जिन्होंने कतारों और मतदाताओं की पहचान आदि के प्रबंधन में और चुनाव आयोग की देखरेख में मतों की गिनती में मदद की. चुनाव आयोग के गठन से लेकर चुनाव आयोग द्वारा नव निर्वाचित केन्द्रीय कमेटी के सदस्यों के नामों की घोषणा करने तक की इस पूरी प्रक्रिया में कुछ घंटे लगे. नयी केंद्रीय कमेटी ने तुरंत एक संक्षिप्त बैठक की और कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य को महासचिव चुना. केंद्रीय कन्ट्रोल कमीशन के चेयरपर्सन केंद्रीय समिति के पदेन सदस्य होते हैं.
केंद्रीय समिति में चुने गए सदस्यों में कर्नाटक से कामरेड मैत्रेयी कृष्णन, उत्तराखंड से कैलाश पांडे और इंद्रेश मैखुरी, दिल्ली से श्वेता राज और नीरज कुमार, राजस्थान से फरहत बानो, पश्चिम बंगाल से इंद्राणी दत्ता और बिहार से मंजू प्रकाश, कुमार परवेज, नवीन कुमार, प्रकाश कुमार, सत्यदेव राम और संदीप सौरव हैं.
सदन ने केंद्रीय समिति में विशेष और स्थायी आमंत्रित सदस्यों को शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया.
महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने नई केंद्रीय समिति की ओर से संक्षेप में सदन को संबोधित किया और इस ऐतिहासिक महाधिवेशन के सफल आयोजन के लिए बिहार पार्टी के साथियों को बधाई दी. उन्होंने इसके संदेश को पूरे जोश और नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाने का आह्वान किया. उन्होंने पार्टी महाधिवेशन को सफल बनाने के लिए महीनों मेहनत करने वाले दो सौ से अधिक स्वयंसेवकों को सम्मानित किया.
अंत में कामरेड स्वदेश भट्टाचार्य ने भाकपा(माले) के इस ऐतिहासिक पार्टी महाधिवेशन को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिनिधियों और अतिथियों का क्रांतिकारी अभिवादन करते हुए कहा कि हमारे महाधिवेशन ने फासीवाद के खिलाफ प्रतिरोध खड़ा करने और हमारे देश की लोकतांत्रिक आवाजों की व्यापक एकता को साथ लाने की चुनौती को स्वीकार किया है. “हम जानते हैं कि भाकपा(माले) ने इतिहास और जन संघर्षों द्वारा पेश सभी चुनौतियों का सामना किया है. इस दौर में हम सभी को फासीवाद के खिलाफ लोकतंत्र की लड़ाई में अपनी क्षमताओं की सीमा से आगे बढ़कर संघर्ष करना होगा.
स्वदेश भट्टाचार्य ने आगे कहा कि “हम आशा करते हैं कि फासीवाद के खिलाफ एकजुट संघर्ष भाकपा(माले) को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और हमारी पार्टी को नई संभावनाओं के लिए मजबूत बनायेगा. हम सभी को इस महाधिवेशन के संदेश को अपने दैनिक जीवन और संघर्षों में उतारना चाहिए. हमें भाजपा से लड़ने में सक्षम सभी ताकतों को एक साथ लाना होगा. क्या हम फासीवाद के खिलाफ जन आंदोलनों की एक नई लहर देख सकते हैं, और क्या हम लोगों के उन आंदोलनों के बीच भाकपा(माले) के लाल झंडे को ऊंचा देख सकते हैं.
इस संदेश और अध्यक्षमण्डल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ भाकपा(माले) का 11वॉं महाधिवेशन इंटरनेशनेल के गायन के साथ संपन्न हुआ!
जैसे ही प्रतिनिधि महाधिवेशन हॉल से बाहर निकले, पूरा परिसर क्रांतिकारी नारों से गुंजायमान हो गया.