आज दुनिया के सभी देशों में 8 मार्चं को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. अक्सर सरकारें इस दिन तरह तरह की लुभावनी घोषणाएं करती हैं. संयुक्त राष्ट्र भी इस दिन को मनाता है. मगर अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का प्रारम्भ कैसे हुआ?

जैसे-जैसे हम इतिहास के पन्नों को पलटते हैं, हम पाते हैं कि दुनिया की महिला कामगारों ने खुद महिला दिवस का इतिहास बनाया – कम्युनिस्ट पार्टियों के झण्डे तले. मई दिवस की तरह ही, महिला दिवस की भी शुरुआत मजदूर वर्ग के संघर्षों की यादगार के रूप में हुई है.

29 देशों में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है. इनमें से ज्यादातर का समाजवादी क्रांति का इतिहास रहा है जिनमें चीन, क्यूबा, वियतनाम, पूर्ववर्ती सोवियत यूनियन और पूर्वी यूरोप के देश शामिल हैं. कुछ अफ्रीकी राष्ट्र भी 8 मार्च को अवकाश मनाते हैं.

आइये उन जुझारू महिलाओं की एक झलक पाने का प्रयास करें जिनके संघर्ष और शौर्य की विरासत की हम उत्तराधिकारी हैं.

1857

8 मार्च 1857 को न्यूयार्क शहर में परिधान और टेक्सटाइल कामगार महिलाओं ने विशाल जन-प्रतिरोध संगठित किया और दो साल बाद मार्च में उन्हीं महिलाओं ने संगठित होने और यूनियन बनाने का अधिकार जीत लिया. उनका संघर्ष काम की अमानवीय परिस्थितियों, कम वेेतन और 12 घंटे कार्य दिवस के खिलाफ था.

1908

8 मार्च 1908 को न्यूयार्क में 15000 कामगार महिलाओं ने सोशलिस्टों के नेतृत्व में वेतन वृद्धि, काम के कम घंटों, महिलाओं को मताधिकार और बाल मजदूरी के खात्मे के लिये जुझारू प्रदर्शन किया.

1909

सोशलिस्ट पार्टी आॅफ अमेरिका (एक अमेरिकी कम्युनिस्ट संगठन) के आह्वान पर 28 फरवरी को समूचे अमेरिका में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया. 8 घंटे कार्य दिवस समेत श्रम कानूनों और महिलाओं को मताधिकार की मांग को लेकर देश भर में विशाल प्रदर्शन आयोजित किये गये.

1909 में अमेरिका में वस्त्रा उद्योग की कामगार महिलाओं ने आम हड़ताल की. बीस से तीस हजार महिला कामगारों ने कड़कड़ाती ठंड में 13 सप्ताह तक बेहतर वेतन और काम की दशाओं की मांग करते हुए काम बंद रखा. दि वीमेंस ट्रेड यूनियन लीग ने गिरफ्तार महिलाओं के लिये जमानत राशि और हड़ताल कोष के लिये भारी रकम का संग्रह किया.

1910

1910 में कोपेनहेगन में आयोजित महिला कामगारों के दूसरे इन्टरनेशनल में जर्मन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (उन दिनों कम्युनिस्ट पार्टी इसी नाम से जानी जाती थी) की नेता क्लारा जे़टकिन ने 1909 में अमेरिका में आयोजित महिला दिवस की तर्ज पर अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिव़स आयोजित किये जाने का प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने सुझाव दिया कि हर साल, हर देश में एक दिन ‘महिला दिवस’ के रूप में कामगार महिलाओं के अधिकारों – जिनमें महिलाओं के लिये श्रम कानूनों, मताधिकार और शांति की मांगें शामिल हों – पर जोर देने के लिये मनाया जाना चाहिये. सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया. ये प्रतिनिधि महिलायें यूनियनों, सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट पार्टियों, महिला कामगार क्लबों का प्रतिनिधित्व करती थीं जिनमें फिनलेण्ड की संसद के लिये पहली बार चुनी गयी तीन महिलायें भी थीं. सभी ने जे़टकिन के इस सुझाव का समर्थन किया और इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस अस्तित्व में आया.

सम्मेलन में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिये 19 मार्च तय की गयी थी, जिस दिन 1848 में प्रशिया में हुए महान जन विद्रोह हुआ था जिसके दबाव में प्रशिया के राजा को महिलाओं के लिये मताधिकार का वायदा करना पड़ा था – हालांकि बाद में वह अपने वायदे से मुकर गया.